Wednesday, March 17, 2010

Best of "मधुशाला (Madhushala)"

Madhushala is one of the most famous works of the great poet and writer Late. Harivansha Rai Bachchan ji. This consists of 135 verses of 4 lines in all and is very meaningful and metaphorical. Here are some my most favorite verses from Madhushala...


सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।


एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।।२६।


बनी रहें अंगूर लताएँ जिनसे मिलती है हाला,
बनी रहे वह मिटटी जिससे बनता है मधु का प्याला,
बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त जो होना जाने,
बनें रहें ये पीने वाले, बनी रहे यह मधुशाला।।२८।


पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता,
मिले मंदिर, मिले मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।


मुसलमान ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला।।५०।


कभी सुन पड़ता, 'इसने, हा, छू दी मेरी हाला',
कभी कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला प्याला',
सभी जाति के लोग यहाँ पर साथ बैठकर पीते हैं,
सौ सुधारकों का करती है काम अकेले मधुशाला।।५७।


मेरे अधरों पर हो अंतिम वस्तु तुलसीदल प्याला
मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु गंगाजल हाला,
मेरे शव के पीछे चलने वालों याद इसे रखना
राम नाम है सत्य कहना, कहना सच्ची मधुशाला।।८२।


जिसने मुझको प्यासा रक्खा बनी रहे वह भी हाला,
जिसने जीवन भर दौड़ाया बना रहे वह भी प्याला,
मतवालों की जिहवा से हैं कभी निकलते शाप नहीं,
दुखी बनाय जिसने मुझको सुखी रहे वह मधुशाला।।१०३।


अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला,
अपने युग में सबको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला,
फिर भी वृद्धो से जब पूछा एक यही उत्तर पाया,
अब रहे वो पिने वाले अब रही वो मधुशाला।।१२५।


6 comments:

Pappul 3/17/10, 3:00 PM  

man ... this is divine ... :)

Subhajit Kundu 3/17/10, 4:29 PM  

देख मधु-तृप्त पीनेवाले, मधु-प्यास ने जला डाला.
देखी मधु की बहती धारा, मगर, हाय, ना बुझती यह ज्वाला.
बिन मधु ना प्यास बुझी थी, बिन मधु ना प्यास बुझेगी,
दे दो मुझको मेरा मदिरालय, दे दो मेरी मधुशाला!

They say "Imitation is the sincerest form of flattery". Above lines are of my own. I have imitated the style of Madhushala.

Subhajit Kundu 3/17/10, 4:31 PM  
This comment has been removed by the author.
Subhajit Kundu 3/17/10, 4:43 PM  

Read above lines with following legend. ;-P
मधु: Girl. मदिरालय, मधुशाला: Girlfriend/Lover.

Vikash Kumar 3/23/10, 6:40 PM  

@Pappul Yes it is divine.. and interestingly I am told that he was a teetotaler :)

@Kundu Wah wah wah wah!! .. Sr. Bachhan sahab must hv been proud of u for this excellent imitation full of metaphor :D Aur kyun na ho.. aakhir dil se nikali huyi aawaj hain ;)

Madhav Sigdel 8/4/13, 10:21 AM  

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।|

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